Tuesday, December 16, 2025

Neend

 नींद , साथ आती है बिस्तर तक 

आखों को चूम कर, छुप जाती है 

चौखट के सुदूर , अपनी माशूका के पास 

खेलती  , उस अल्हड सी , महकती रात के साथ 


आज फिर,मुई नींद, रंग रैलियां मना रही होगी 

अलग अलग रंगों की के नकाब में मुझसे चुप 

गुलाबी होते अंधेरों  के साथ , नैन मटका करती

बेशर्मी और बेहद सलीकों की चादर के पीछे, मुस्कुराती  


उस घोर , गहरे कालेपन की शर्ट के बटन तोड़ती 

सारे रंगों को मानो पी जाती, 

और में प्यासा , खुद को  जकड़ा ,उसकी कसक में 

मुआ , सच्चे आशिक सा , बिस्तर पर किसी और को आने नहीं देता