Thursday, October 21, 2010

विचार,बिखरे से

Looong time since I wrote something in Hindi...
Thnx google translitration...


विचारों के द्वन्द , छोटे किन्तु अनगनित ,
टकराते हुए बंद दरवाज़ों से,गुस्साए से तनिक.

यह क्यों वह क्यों नहीं,पूछते तुमसे,सबसे,
सरफिरे से हिचकोले खाते हुए , पर थामे हुए कसके.

अब विचारों को कौन समझाए,वे बोराऐ से प्राणी,
और वह भी तब,जब विचार ही चिंतन करें, करें मनमानी.

चलिए,ख़तम करें यह अंतर द्वन्द,विचारों से की याचना,
वे खिलखिलाए , बोले, हम तो साधन मात्र हैं,आखिर हैं तो तुम्हारी ही रचना.

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