अधखुली आखों से सोचता हुआ,
विचारों से देखता अनदेखा करता,
चबाता उन्हें,धीरे,धीरे,गाय के जुगले की तरह,
भिगोता उन्हें तब तक जब तक अविश्वास से गीले गंदे नहीं हो जाते.
बेचारे,आपना सा मुहं लिए,संकुचित से,असक्षम,उदास,
बच्चों जैसे,जिनका गुब्बारा छीन लिया गया हो,फोड़ दिया गया हो,
गुस्सा से,नाखुश से,बेरंग,बे हवा उस फुग्गे को घूरते हुए,
मनो कहते हुए,बस,कर दिया बर्बाद,एक और सपना?
और नहीं!इस बार जिंदा रखूंगा उन्हें,
तोडूंगा मरोरूँगा नहीं,ख़ुशी नहीं निचोरुंगा उनसे,
सपनो को थोडा संभल के रखूंगा,शंका के विष से दूर,
मुस्कुरा कर बोलूँगा,पास आकर बैठो,तंग नहीं करूंगा.
विचारों से देखता अनदेखा करता,
चबाता उन्हें,धीरे,धीरे,गाय के जुगले की तरह,
भिगोता उन्हें तब तक जब तक अविश्वास से गीले गंदे नहीं हो जाते.
बेचारे,आपना सा मुहं लिए,संकुचित से,असक्षम,उदास,
बच्चों जैसे,जिनका गुब्बारा छीन लिया गया हो,फोड़ दिया गया हो,
गुस्सा से,नाखुश से,बेरंग,बे हवा उस फुग्गे को घूरते हुए,
मनो कहते हुए,बस,कर दिया बर्बाद,एक और सपना?
और नहीं!इस बार जिंदा रखूंगा उन्हें,
तोडूंगा मरोरूँगा नहीं,ख़ुशी नहीं निचोरुंगा उनसे,
सपनो को थोडा संभल के रखूंगा,शंका के विष से दूर,
मुस्कुरा कर बोलूँगा,पास आकर बैठो,तंग नहीं करूंगा.